पहला जो कदम था युद्ध में तेरा,
न थी दुश्मन के वार की आहट।
फ़िर भी तूने अपने दम पे,
दी उसको एक कड़ी चुनौती।
जो हाथ से छूटे युद्ध ये तेरे,
क़ाबिलियत की है एक और कसौटी।
हैं ज़ख्म तेरे अभी भरे नहीं।
पर तू अभी तो टूटा ही नहीं।
तू तो योद्धा है सदियों का
तेरी अगली कसौटी है यही।
न थी दुश्मन के वार की आहट।
फ़िर भी तूने अपने दम पे,
दी उसको एक कड़ी चुनौती।
जो हाथ से छूटे युद्ध ये तेरे,
क़ाबिलियत की है एक और कसौटी।
हैं ज़ख्म तेरे अभी भरे नहीं।
पर तू अभी तो टूटा ही नहीं।
तू तो योद्धा है सदियों का
तेरी अगली कसौटी है यही।
तेरी हार को दुश्मन ने माना
कि ये तेरी कमजोरी है।
इसलिए तेरी गलतियों को भाँपे,
उसने कोई राह न छोड़ी है।
तू हौसले को कर बुलंद
और फ़िर से अपनी राह चुन।
जो गूँज है तेरे ख़िलाफ़
अनसुनी कर ऐसी हर धुन।
जो कदम हैं आगे को बढ़े,
फ़िर न आगे कोई सोच अड़े।
तू तो योद्धा है सदियों का,
जो अधर्म के विपरीत लड़े।
बीती हुयी अपनी ग़लती को
तू भूल के आगे चल निकला।
क्या बात है तेरी मेहनत से
अब तो हर पत्थर है पिघला !
पर तेरी रफ़्तार से अब
एक लहर है ऐसी फ़ैल गयी
कि तेरे हर दुश्मन ने
फ़िर तुझको ललकारा है।
आगे क्या है अंजाम तेरा
क्यों तू परवाह करता उसकी ?
तू तो योद्धा है सदियों का
हर सदी में एक पहचान है जिसकी।
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