Sunday, November 10, 2013

तेरी सख्शियत इकलौती है

This poem is a tribute to the pride of India and pride of Cricket. He needs no introduction. He is the beloved of the whole world. All he deserves is our salute.


बीते कल ने खो दिया तुझे 
उसका एक यही तो रोना है 
आने वाले कल को डर है 
कि उसे भी तुझको खोना है 
सब की नज़र थी बस तुझपे ही 
सब तुझसे आस लगाते थे 

तेरी एक झलक के लिए 
सबकुछ ही दावं लगाते थे 

तू जब उतरा लेकर के अस्त्र 
सबको ही दिया चुनौती है।
तुझसा नहीं दूजा है योद्धा 
तेरी सख्शियत इकलौती है।

जो हार गया तुझसे कभी 
न उसे अफ़सोस है हार का 
उसे गर्व है कि उसने है किया
सामना तेरे प्रहार का 
चाहे हो तेरी छोटी सी काया 
चाहे छोटी परछाईं हो 
तूने हैं वार झेले सभी 
चाहे कोई फ़ौज भी आयी हो 

तूने जो अस्त्र है त्याग दिया 
ये युद्ध भूमि अब रोती है 
तुझपे सदैव गौरव रहे 
ये सपने सदा संजोती है। 
ये सपने सदा संजोती है। 
 

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