अश्क़ों में डूबे घर से ख़त
मुझसे मिलने की इक आफ़त
छोटी बहना की हर एक शरारत
और होली पे मुझे रंगने की आदत
हर एक ने ज़िक्र किया यही
हर एक ने फिक्र किया यही
कि क्या मैं यहाँ सलामत हूँ
घर पे बैठी उस माँ को भी
पता है कि मैं न आउंगा
जो वो नाराज़ हो झूठ से मेरे
उसे हर मजबूरी बताऊंगा
इस माँ का दिल तो टूट गया
उस माँ कि लाज बचाने में
पिता को मेरे गर्व है मुझपे
ग़म है उन्हें मेरे न आने में
जैसे कि उनको पता था
कि मैं न फिर आ पाउँगा
वो हो गए नाराज़ मुझसे
सोचे मैं उन्हें मनाऊंगा
पर उनको है न पता
कि मैं किस हाल में हूँ यहाँ
मैं लड़ रहा हूँ इस सरहद पे
जीते हर पहर ही मौत जहाँ
मुझसे मिलने की इक आफ़त
छोटी बहना की हर एक शरारत
और होली पे मुझे रंगने की आदत
हर एक ने ज़िक्र किया यही
हर एक ने फिक्र किया यही
कि क्या मैं यहाँ सलामत हूँ
हर ज़िक्र को मैं फ़िर सुनकर
हर फ़िक्र को करके दर-किनार
छुपा के अपनी हर मजबूरी
और पोंछ के आँसू फिर अपने
करता सबसे झूठा वादा कि
रंगने होली की रंगत में
फिर लौट के वापस आउंगा
घर पे बैठी उस माँ को भी
पता है कि मैं न आउंगा
जो वो नाराज़ हो झूठ से मेरे
उसे हर मजबूरी बताऊंगा
इस माँ का दिल तो टूट गया
उस माँ कि लाज बचाने में
पिता को मेरे गर्व है मुझपे
ग़म है उन्हें मेरे न आने में
ताकि उन दिलों को जोड़ सकूँ
और हर नाराज़गी तोड़ सकूँ
देता हूँ दिलासा दिवाली का
और फिर उन सब से कहता हूँ
रौशन करने अपने घर को
फिर लौट के वापस आउंगा
जैसे कि उनको पता था
कि मैं न फिर आ पाउँगा
वो हो गए नाराज़ मुझसे
सोचे मैं उन्हें मनाऊंगा
पर उनको है न पता
कि मैं किस हाल में हूँ यहाँ
मैं लड़ रहा हूँ इस सरहद पे
जीते हर पहर ही मौत जहाँ
उनका भी कहना ज़ायज है
उनसे मिले हुआ एक अरसा
अपने हर फ़र्ज़ को निभा लिया
फिर भी मैं उनके साथ को तरसा
पर मैंने ये तयं है किया
कि चाहे मुझको अब मौत मिले
पर लिपटा हुआ तिरंगे में
फिर लौट के वापस आउंगा
good lines !
ReplyDeletethank you brother
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