Friday, November 12, 2010

मेरी परछाई


the most faithful friend is the shadow. It will accompany you wherever you go.

मेरी मंजिल यहाँ नहीं है
मुझे और भी आगे जाना है
मुझे यहाँ पे नहीं है रुकना
न ये मेरा ठिकाना है
मुझे बहुत ही देर लगेगी
तू चाहे तो अभी लौट जा
तू चाहे तो अभी लौट जा

बुरे वक़्त में साथ न कोई
तू मेरे संग आई है
न तेरा कोई नाम पता
तू तो बस एक परछाई है
मुश्किलें अभी और हैं बाकी
तू चाहे तो अभी लौट जा
तू चाहे तो अभी लौट जा

न तू मेरी मंजिल है
और न ही तू मेरा कारवां
फिर क्यों मेरे साथ आ गया
जब पता नहीं मैं चला कहाँ
आगे क्या हो कुछ पता नहीं
तू चाहे तो अभी लौट जा
तू चाहे तो अभी लौट जा

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