अपनी धरती आज़ाद है औरThe poem is a voice to all the young people of India, which asks them to resurrect the feeling of sacrifice and revolution.
हम आज़ाद मुल्क़ के वासी हैं।
अपने दिल में फ़िर क्यों पलती,
एक ग़म और उदासी है।
कहाँ गयी वो सोच जिसे,
हम आधारशिला कहलाते थे?
एक नयी सुबह की देख झलकियां,
अपना मन बहलाते थे।
कहते थे कि लड़ जायेंगे,
वो अस्सी या इक्यासी हैं।
क्रांति की धार को जंग न लगने देना।
ये तेरा हथियार है रही।
तोड़ दे इस चक्रव्यूह को,
ये क्रांति की गूँज है सिपाही।
इस भ्रष्ट तंत्र से मुक्ति पाने को,
कुछ और भी सदियां प्यासी हैं।