कुछ चीखों और चिल्लाहटों ने
दी थी दस्तक बरसों से
पर हम अपनी दुनिया को समेटे
बेपरवाह से रहते थे
न हमें थी फ़ुरसत उस कल में
कि हम उनकी फ़रियाद सुनें
उनका हमसे न वास्ता
ये सोच बेफ़िकर रहते थे
फिर हमने देखे वो चेहरे
थे जिससे अंजान कई
पर कुछ लोगों के घर में
सब उन्हें हमसफ़र कहते थे
इन चेहरों के पीछे भी
कुछ और मुखौटे छिपते हैं
जिसका उनको एहसास नहीं
जिससे वो बेखबर रहते हैं
दी थी दस्तक बरसों से
पर हम अपनी दुनिया को समेटे
बेपरवाह से रहते थे
न हमें थी फ़ुरसत उस कल में
कि हम उनकी फ़रियाद सुनें
उनका हमसे न वास्ता
ये सोच बेफ़िकर रहते थे
लांघ के सारी दहलीज़ें
इस दुनिया में वो रहने लगी
इस दुनिया में वो रहने लगी
फिर हमने देखे वो चेहरे
थे जिससे अंजान कई
पर कुछ लोगों के घर में
सब उन्हें हमसफ़र कहते थे
इन चेहरों के पीछे भी
कुछ और मुखौटे छिपते हैं
जिसका उनको एहसास नहीं
जिससे वो बेखबर रहते हैं
दुनिया के थे मेहमान मग़र
उनसे ही ये दुनिया चलने लगी
उनसे ही ये दुनिया चलने लगी
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