Saturday, September 29, 2012
Monday, September 24, 2012
Car imagined
Sunday, September 23, 2012
Tuesday, September 11, 2012
ये देश है न जागीर तेरी
कर दे तू खड़ी दीवारों को
या डाल दे पांवों में ज़ंजीरें
चुनवा दे तू दीवारों में
फिर भी हम लांघेंगे ये लकीरें
पहुंचा हूँ मैं मीलों आगे
जब से थी ये आग़ाज़ मेरी
दफ़ना भी दे कोसों नीचे
न थमेगी ये आवाज़ मेरी
जिंदा हैं जब ये उम्मीदें
फिर टूटेगी ज़ंजीर तेरी
तू रोक मुझे न पायेगा
ये देश है न जागीर तेरी
इसे खून पसीने से सींचा
आजादी के रखवालों ने
तेरे सोये ईमान को अब
कुरेदा है चंद सवालों ने
अब रोक सके तू कदम मेरे
ऐसी न है औकात तेरी
उम्मीद है मेरी क़ुर्बानी
कभी बनेगी फिर सौग़ात मेरी
आजादी के रखवालों ने
तेरे सोये ईमान को अब
कुरेदा है चंद सवालों ने
अब रोक सके तू कदम मेरे
ऐसी न है औकात तेरी
उम्मीद है मेरी क़ुर्बानी
कभी बनेगी फिर सौग़ात मेरी
इस धरती पर है दिखती
कल की उजली तस्वीर मेरी
इस देश पे मैं क़ुर्बान
कल की उजली तस्वीर मेरी
इस देश पे मैं क़ुर्बान
ये देश है न जागीर तेरी
Thursday, September 06, 2012
उनसे ही ये दुनिया चलने लगी
कुछ चीखों और चिल्लाहटों ने
दी थी दस्तक बरसों से
पर हम अपनी दुनिया को समेटे
बेपरवाह से रहते थे
न हमें थी फ़ुरसत उस कल में
कि हम उनकी फ़रियाद सुनें
उनका हमसे न वास्ता
ये सोच बेफ़िकर रहते थे
फिर हमने देखे वो चेहरे
थे जिससे अंजान कई
पर कुछ लोगों के घर में
सब उन्हें हमसफ़र कहते थे
इन चेहरों के पीछे भी
कुछ और मुखौटे छिपते हैं
जिसका उनको एहसास नहीं
जिससे वो बेखबर रहते हैं
दी थी दस्तक बरसों से
पर हम अपनी दुनिया को समेटे
बेपरवाह से रहते थे
न हमें थी फ़ुरसत उस कल में
कि हम उनकी फ़रियाद सुनें
उनका हमसे न वास्ता
ये सोच बेफ़िकर रहते थे
लांघ के सारी दहलीज़ें
इस दुनिया में वो रहने लगी
इस दुनिया में वो रहने लगी
फिर हमने देखे वो चेहरे
थे जिससे अंजान कई
पर कुछ लोगों के घर में
सब उन्हें हमसफ़र कहते थे
इन चेहरों के पीछे भी
कुछ और मुखौटे छिपते हैं
जिसका उनको एहसास नहीं
जिससे वो बेखबर रहते हैं
दुनिया के थे मेहमान मग़र
उनसे ही ये दुनिया चलने लगी
उनसे ही ये दुनिया चलने लगी
Monday, September 03, 2012
Bird's Eye View
The photo was captured by me today, when it was raining very heavily, and these birds took the shelter.
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