गिरते संभलते
यूं ही चलते चलते
तूने है जीना सिखा दिया
राहों में मेरे
थे जब भी अँधेरे
तूने है रस्ता दिखा दिया
एक तू ही है मेरा हमसफ़र
एक तू ही है मेरा हमसफ़र
चलने से पहले पूछा जो खुद से
क्यों है तू अकेला राहों में
फिर तेरी पनाहें मुझे मिली
तूने है थामा फिर बाहों में
मुश्किलों का जैसे है एक समंदर
न दिखता है मुझे अब किनारा
बस एक तुझपे है मुझे भरोसा
बस एक तेरा ही है सहारा
तुझको मैं चाहूँ हर एक सहर
एक तू ही है मेरा हमसफ़र