मन मेरा यूं करता है,
मैं हवा से अब तो बात करूँ
तेरे संग दिन को रात करूँ
पथरीली मुश्किल राहों को
तेरे कदमों से आघात करूँ।
मन मेरा यूं करता है
अस्सी- नब्बे तो कल की बात,
सौ से आगे रफ़्तार करूँ।
उगता सूरज तुझको देखे,
उसपे मैं ये आभार करूँ।
मन मेरा यूं कहता है
गोंद में तेरी बैठे हुए,
तेरी धड़कन का आभास करूँ।
हाँ, है ताकत मेरी मुट्ठी में,
इस तथ्य का मैं एहसास करूँ।
मन मेरा यूं कहता है
कोई आगे निकल गया तो क्या,
पहले हम मंज़िल पा लेंगे।
बस कुछ कदमों की दूरी पे,
गीत विजय के गा लेंगे।

Ultimate
ReplyDeletethank you
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