Sunday, January 29, 2012
Saturday, January 28, 2012
Friday, January 27, 2012
एक नयी सुबह को करें सलाम
उन बातों को हम भूल गए
जिन बातों से तकरार बढ़ी
उन दीवारों को तोड़ गए
जो सबके थी बीच खड़ी
कब तक रखें उन बातों को
छुपा के अपने दिल में हम
जिनसे हम कोसों दूर रहे
जिसने की सबकी आँखें नम
क्या खोया सब भूल के हम
लें एक दूजे की बाहें थाम
भुला के सारी नफरत को
एक नयी सुबह को करें सलाम
जो लड़े कभी हम मजहब पे
एक दूजे का खून बहा
धरती रोई फिर सदियों तक
कल जो ये लहू लुहान रहा
जो पास थी अपने वो दौलत
उसकी न हमको कदर रही
उनसे हम दिलों को जीत सकें
ऐसी न हमको खबर रही
ढूढ़ के लायें वो दौलत
चाहो हो जो भी अंजाम
भुला के सारी नफरत को
एक नयी सुबह को करें सलाम
Monday, January 02, 2012
जंग न उनपे लग जाए
जिस धड़कन में बहती थी कभी
एक सोच वो क्रांति को लाने की
उसको है अब जंग लगी
उसकी है घड़ी थम जाने की
हम कोसते हैं उस गद्दी को
जिसपे बैठे हैं भ्रष्ट सभी
जिनके वादे भी अधूरे हैं
पूरे न होंगे वो भी कभी
हैं उम्मीदें उनसे ही जुड़ी
जो बदलें नीव जमाने की
हैं उनकी ही कोशिश पे टिकी
एक सोच सुबह को लाने की
बारूद हैं जिन बंदूकों में
जंग न उनपे लग जाए
जंग न उनपे लग जाए
कुछ सोचते हैं धन दौलत की
कुछ भागते हैं कल के पीछे
कर्म की सीढ़ी छोड़ के सब
क्यों भागते हैं फल के पीछे
न फ़ुरसत है उनको भी अभी
कि याद करें कुर्बानी वो
जिसने सींचा इस धरती को
जिनकी है एक निशानी वो
कुर्बानियों को भूल गए
एक होड़ में आगे जाने की
अब उन्ही से होगा रौशन कल
जो सोचें क्रांति को लाने की
बारूद हैं जिन बंदूकों में
जंग न उनपे लग जाए
जंग न उनपे लग जाए
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